जिंदगी का सफर जिंदगी का सफर है ये कैसा सफर कोई समझ नाही कोई जाना नहीं । दोस्तो येऊ गाना तो आपने सुना हि होगा । लिखने वाले ने बहोत हि सुंदर लिखा और सोने पे सुहागा तो ये है कि किशोर कुमार जी के प्यारी सी आवाज । चलो आज इसी विषय पे आपको कूछ पेश करता हू आशा करता हू कि आपको पसंद आयेगा । यह एक सुंदर लेख है। सभी इसे अवश्य पढ़ें। धन्यवाद। किसके लिए जीना है...? हम कितने भी अच्छे क्यों न हों, मौत के बाद हमारी याद सिर्फ 10/15 दिन की होती है... मैं, मेरा परिवार, और मेरा परिवार और दुनिया हमारी..तो ... मैं किसके लिए रहू? .. आदमी पैदा होता है, थोड़ा बढ़ता है। वह सुख-दुख के कई तूफानों का जीवन जीता है। लेकिन.. क्यों जीते हैं जिंदगी? क्यों रहते हैं और वह किसके लिए रहता है? लेकिन मुझे कोई अंदाजा नहीं है। वह अपना पेट भरने के लिए पूरी जिंदगी मेहनत करता है। वह पैसे कमाने के लिए कहीं काम करता है, छोटे-छोटे काम करता है, यहाँ तक कि शारीरिक श्रम भी करता है। पहले 80/90 साल जीते थे, अब 60/70 साल जीते...
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